Chaurchan-2023 चौरचन पूजा क्या होती है, कब आती है, और इसका क्या महत्व होता है?

चौरचन पूजा क्या होती है?

चौरचन पूजा एक महत्वपूर्ण पूजा पर्व है जो बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र के अलावा भोजपुर सीमांचल और कोसी में मनाया जाता है। इसे छठ के तर्ज पर मनाने का महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है और यह पूजा संध्या काल में चंद्रमा को अर्घ्य देने के रूप में मनाई जाती है। इस पूजा में दही का विशेष महत्व होता है। चौरचन पूजा मिथिलांचल के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक पर्व है, जिसमें भक्ति, परंपरा और सामुहिक भक्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।

इस पूजा में संध्याकालीन चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ, भगवान गणेश, भगवान विष्णु, देवी पार्वती और चंद्रमा देवता की पूजा की जाती है। चौरचन पूजा का मुख्य उद्देश्य साक्षरता, समृद्धि और परिवार के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।

इस पर्व का आयोजन विशेष तरीके से किया जाता है, जिसमें स्थानीय लोग विशेष प्रकार की पूजा विधियों का पालन करते हैं और परंपरागत गीतों और कथाओं का आयोजन करते हैं। चौरचन पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा दही की पिपासा के साथ जुड़ा होता है, जिसे पूजा के बाद भक्तों के बीच बाँटा जाता है।

बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में चौरचन पर्व छठ की तर्ज पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो 18-19 सितंबर को सामाजिक और धार्मिक अनुष्ठान के रूप में आयोजित किया जाएगा. इस दिन स्थानीय लोग शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर एक विशेष माहौल बनाते हैं। दही का विशेष महत्व है और यह त्योहार विशेष रूप से मिथिला क्षेत्र के लोगों के लिए आत्मीयता और सामुदायिक भक्ति की भावना को उत्तेजित करता है।

“चौरचन पूजा” एक प्रकार की हिन्दू पूजा होती है जो किसी विशेष दिन या आवसर पर किया जाता है। यह पूजा अक्सर किसी विशेष देवता या देवी की पूजा के रूप में होती है, और यह उन्हें भक्ति और समर्पण का व्यक्तिगत तरीके से याद करने का एक अवसर प्रदान करती है।

चोरचन पूजा मिथिला क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण व्रत परंपरा है, जो विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। इसे चारचन्ना पाबनी, चौथ चंद, चौथ चंद्र या चोरचन पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह पूजा भगवान गणेश और चंद्र देव को समर्पित है और इसका धार्मिक महत्व भी है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं व्रत रखती हैं। अलग-अलग प्रसाद तैयार किया जाता है. इसी समय गणेश चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है। भगवान गणेश के अलावा, लोग भगवान विष्णु, देवी पार्वती और चंद्रमा देवी की भी पूजा करते हैं।

इस पूजा के दौरान चोरचन पूजा से जुड़ी कहानी सुनाई जाती है, जिसके बाद चंद्रमा देवता को अर्घ्य दिया जाता है।

चौरचन पूजा कब आती है :-

चौरचन पूजा का आयोजन बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में किया जाता है, और इसकी तिथि हर वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार बदलती रहती है। यह पूजा आमतौर पर अक्टूबर और नवम्बर के महीनों के बीच मनाई जाती है।

इसकी तिथि गणेश चतुर्थी के दिन के समय प्राप्त होती है, जो कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि होती है। इसलिए, इस पूजा का आयोजन गणेश चतुर्थी के समय प्राप्त तिथि के आसपास होता है, जिसमें चौरचन पूजा के दौरान चंद्रमा को अर्घ्य देने का महत्वपूर्ण भाग होता है।

कृपया हिन्दू पंचांग या स्थानीय पूजा कैलेंडर की जाँच करें ताकि आप चौरचन पूजा की सटीक तिथि को जान सकें, क्योंकि यह तिथि हर वर्ष बदलती रहती है।

चौरचन पूजा का महत्व :-

चौरचन पूजा का महत्व बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में बहुत अधिक होता है, और यह पूजा धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

धार्मिक महत्व: चौरचन पूजा में भगवान गणेश, भगवान विष्णु, देवी पार्वती, और चंद्रमा देवता की पूजा की जाती है। इससे लोग अपनी भक्ति और आस्था का व्यक्ति करते हैं और उनके आदर्श देवताओं की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

सांस्कृतिक महत्व: यह पूजा मिथिला क्षेत्र की सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है और इसके आयोजन से लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर को महत्व देते हैं।

सामाजिक महत्व: चौरचन पूजा एक सामाजिक अद्भुति भी है, जिसमें स्थानीय लोग एक साथ आते हैं और इस अवसर पर समुदाय के सदस्यों के बीच मिलकर धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन करते हैं।

परंपरागत महत्व: चौरचन पूजा एक परंपरागत पूजा है जो बिहार के मिथिला क्षेत्र में प्रतिवर्ष मनाई जाती है। इसका मतलब है कि लोग इसे अपनी परंपरा और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं और इसे आदर्श तरीके से मनाने का प्रयास करते हैं।

आशीर्वाद के लिए: चौरचन पूजा का मुख्य उद्देश्य साक्षरता, समृद्धि और परिवार के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।

इसलिए, चौरचन पूजा बिहार के मिथिला क्षेत्र के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन होता है जो धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, और परंपरागत दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है।

“चौरचन पूजा” की एक पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक दिन भगवान गणेश अपने वाहन मूषक के साथ कैलास की यात्रा कर रहे थे। अचानक उन्हें चंद्र देव के हंस की आवाज आई। भगवान गणेश को उनके हंसने का कारण समझ में नहीं आया इसलिए उन्होंने चंद्रदेव से इसका कारण पूछा। चंद्रदेव ने कहा कि भगवान गणेश का विचित्र रूप देखकर उन्हें हंसी आ रही है, साथ ही उन्होंने अपने रूप की प्रशंसा करना शुरू कर दिया। मजाक की इस प्रवृत्ति को देखकर गणेश जी को काफी गुस्सा आया। उन्होंने चंद्र देव को श्राप दिया और कहा कि जिस रूप का उन्हें इतना अभिमान है वह आज से करूप हो जाएगा। कोई भी व्यक्ति जो चंद्रदेव को इस दिन देखेगा, उसे नारा देगा। भले ही किसी का कोई अपराध न हो लेकिन अगर इस दिन चंद्र देव को देखा तो वह अपराधी ही कहलाएगा।

इस बात का दावा है कि चंद्रदेव का अभिमान समाप्त हो गया और वह भगवान गणेश के सामने आ गए। भगवान गणेश को खुश करने के लिए भाद्रपद की चतुर्थी में गणेश जी की पूजा करें और उनके लिए व्रत रखें। भगवान गणेश ने चंद्रदेव को माफ कर दिया और कहा कि वह अपनी रात को वापस नहीं ले सकते लेकिन वह अपना प्रभाव कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति ने चंद्र देव पर आरोप लगाया है तो उसे गणेश चतुर्थी के शाम को चंद्रमा की पूजा भी करनी है, इस तरह से वह कलंक से बच जाएगा। इस तरह करने से व्यक्ति के जीवन पर कलंक निष्कलंक हो जाएगा। उसी समय से गणेश चतुर्थी के दिन चौराचन भी मनाया जाता है।

“चौरचन पूजा” की कहानी

“चौरचन पूजा” की कहानी अपने प्राचीन और धार्मिक महत्व के कारण महत्वपूर्ण है, खासकर बिहार के मिथिला क्षेत्र में। इस पूजा की कहानी विभिन्न संस्कृति और परंपराओं के अनुसार थोड़ी भिन्न-भिन्न हो सकती है, लेकिन एक सामान्य कथा निम्नलिखित है:
कई साल पहले, मिथिला के एक गांव में एक गरीब और ईमानदार महिला रहती थी। उसका नाम चौरचन था। चौरचन बहुत धार्मिक थी और भगवान गणेश की भक्त थी। वह हमेशा भगवान गणेश की पूजा करती थी और उनके पास कुछ भी नहीं था, लेकिन वह अपनी पूजा में ईमानदार रहती थी।
एक दिन, चौरचन ने देखा कि एक सुंदर सोने का मूर्ति एक पेड़ के नीचे गिर गया था। वह मूर्ति को उठाया और अपने घर ले आई। वह सोचती थी कि यह सोने का मूर्ति बड़ा धन हो सकता है और उसके जीवन को सुखमय बना सकता है।
अगली रात, चौरचन ने ख्वाब में भगवान गणेश से मिलने का सपना देखा। भगवान गणेश ने उससे कहा कि वह मूर्ति को वापस पेड़ के नीचे ले जाए, जिससे उसकी भक्ति को प्रमाणित किया जाएगा।
चौरचन ने सपने का सुना और भगवान की आज्ञा का पालन किया। वह मूर्ति को पेड़ के नीचे वापस रख दिया। इसके परिणामस्वरूप, चौरचन को भगवान गणेश की कृपा मिली और उसका जीवन सुखमय और समृद्धि वाला बन गया।
इस कथा से प्रेरणा लेते हुए, “चौरचन पूजा” का महत्व उसी भक्ति और ईमानदारी में है जो चौरचन ने दिखाई थी, और यह एक आदर्श दिखाता है कि भगवान की प्रति भक्ति और समर्पण किसी भी धार्मिक अनुष्ठान का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।

चौरचन पूजा विधि 2023 :-

  1. इस दिन सुबह से लेकर शाम तक व्रत रखे जाते हैं। महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं।
  2. शाम तक व्रत रखने के बाद, शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लिप कर साफ किया जाता है।
  3. इसके बाद कच्चे चावल को पीसकर रंगोली तैयार की जाती है और इस रंगोली से आंगन को सजाया जाता है।
  4. इसके बाद केले के पत्ते की मदद से गोलाकार चांद बनाया जाता है।
  5. इस त्योहार पर तरह-तरह के मीठे पकवान जैसे की खीर मिठाई गुझिया और फल आदि रखे जाते हैं। इस त्योहार में दही का काफी ज्यादा महत्व है। पूजा में दही का शामिल करना बहुत जरूरी माना जाता है।
  6. पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके रोहिणी नक्षत्र सहित चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा की जाती है।
  7. पूजा करने के लिए फूलों का इस्तेमाल किया जाता है।
  8. इसके बाद घर में जितने भी लोग है, उतनी ही पकवानों से भरी डाली और दही के बर्तन में रखे जाते हैं।
  9. इसके बाद एक-एक करके डाली, दही के बर्तन, केला खीर आदि को हाथों में उठा कर मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।

नमः शुभ्रांशवे तुभ्यं द्विजराजाय ते नमः।

नमः शुभ्रांशवे तुभ्यं द्विजराजाय ते नमः।

  1. इसके बाद निम्नलिखित मंत्र उच्चारण के साथ साथ चंद्रमा को यह सारे पकवान समर्पित किए जाते हैं।
  2. फिर परिवार के सभी सदस्य हाथ में फल लेकर दर्शन कर उनसे निर्दोष व कलनमुक्त होने की कामना करते हैं।
  3. एक तरह से पूजा-अनुष्ठान संपन्न होता है और भक्त अपना व्रत तोड़ते हैं।

ये सामग्री विभिन्न पूजा और धार्मिक अद्भुतियों में उपयोग के लिए इस्तेमाल की जाती हैं, और उन्हें पूजा के दौरान प्रसाद और आराधना के रूप में प्रयोग किया जाता है।

चौरचन पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें :-

  1. जिस दिन चौरचन का त्योहार हो उस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए।
  2. सुबह उठकर दैनिक क्रिया पूरी करने के बाद स्नान करना होता है।
  3. स्नान करने के बाद व्रत की शुरुआत की जाती है, जिसे शाम तक जारी रखना होता है.
  4. इस दिन सभी से प्यार से बात करनी चाहिए।
  5. इस दिन मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए और न ही नशीली चीजों का सेवन करना चाहिए। शाम को व्रत खोलने के बाद सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
  6. इस दिन दक्षिणा दान करना बहुत शुभ माना जाता है इसलिए अपनी इच्छानुसार गरीबों को दान करना चाहिए।
  7. चौरचन की पूजा पूरे विधि विधान से करनी चाहिए तभी फल की प्राप्ति होती है। विधिपूर्वक पूजा करने से ही भगवान गणेश के साथ-साथ चंद्र देव भी प्रसन्न होते हैं और लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

चौरचन पूजा अपनी परंपरागत विधियों और आदतों के साथ मनाई जाती है और यह धार्मिक और सामाजिक आयोजन होता है जिसमें भक्ति और सांस्कृतिक समृद्धि का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।

चौरचन के दिन दही का महत्व :-

चौरचन की पूजा में दही का बहुत महत्व है: इसीलिए इस दिन मिट्टी के बर्तन में दही रखा जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से दही का स्वाद बेहद खास हो जाता है. इस दही का उपयोग पूजा के दौरान किया जाता है। इसके अलावा बांस के बर्तन में विशेष खीर बनाई जाती है, जिसका भोग चंद्रदेव को लगाया जाता है।

FAQ’s

चौरचन पूजा क्या है?

चौरचन पूजा एक महत्वपूर्ण पूजा पर्व है जो बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र में मनाया जाता है।

चौरचन पूजा क्यों मनाई जाती है?

चौरचन पूजा मनाई जाती है क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है जो मिथिलांचल क्षेत्र के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। भक्ति के लिए, आराधना के लिए, परंपरा के रूप में, सामाजिक महत्व के रूप में

चौरचन पूजा कहा की धरोहर है।

चौरचन पूजा बिहार के मिथिला क्षेत्र की महत्वपूर्ण धारोहरों में से एक है। यह पूजा इस क्षेत्र की धार्मिक, सांस्कृतिक और परंपरागत विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और वहां के लोग इसे बड़े आदर और समर्पण से मनाते हैं।

चौरचन पूजा कब की जाती है।

जिस समय गणेश चतुर्थी (भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि) मनाई जाती है अर्थात उसी समय चौरचन भी मनाया जाता है। चौरचन के त्यौहार को चौठ चंद्र त्यौहार भी कहा जाता है।

Author

  • Kanchan Kumari

    मेरा नाम कंचन है, मैं दिल्ली से हूँ और पार्ट टाइम जॉब करती हूँ। मैं इस वेबसाइट की लेखिका हूं, मैं अपने कौशल को बढ़ाने के लिए Independent काम करना चाहती हूं। मैं Freelancing की सहायता से लोगों की मदद और उनके लिए कई विषयों पर आर्टिकल साक्षा करना चाहती हूँ|

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