सभी को नमस्ते! आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे विशेष दिन के बारे में जिसे हम “आधिक मास अमावस्या” के नाम से जानते हैं। इस दिन की तिथि और मुहूर्त के बारे में जानने से पहले, चलिए शुरुआत करते हैं।
अधिक मास अमावस्या हिंदू कैलेंडर में एक विशेष दिन है। यह वह दिन है जब अधिक मास का चंद्र महीना समाप्त होता है और नया महीना श्रावण शुरू होता है। अधिक मास हर 3 साल में एक बार हिंदू कैलेंडर में जोड़ा जाने वाला एक अतिरिक्त महीना है। ऐसा माना जाता है कि यह महीना पितरों, या पूर्वजों को समर्पित है।
अधिक मास अमावस्या क्या है
अधिक मास अमावस्या अधिक मास में पड़ने वाली अमावस्या (नया चंद्रमा का दिन) है। यह हिंदुओं के लिए बहुत महत्व का दिन है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितृ पृथ्वी पर लौट आते हैं और अपने वंशजों से मिलने जाते हैं। इस दिन लोग अपने पूर्वजों को प्रार्थना और पूजा अर्पित करते हैं ताकि उनकी कृपा प्राप्त कर सकें।
अमावस्या का महत्व
अमावस्या, यानी कि नो मून नाइट, एक ऐसे समय को संकेत करता है जब रात को चंद्रमा दिखाई नहीं देता। इस दिन की मान्यता धार्मिक, सांस्कृतिक और ज्योतिष तत्वों पर आधारित है। अमावस्या के दिन व्यक्ति अपने पुराने पापों को दूर करने और नए संकल्प बनाने का अवसर पाते हैं।
अधिक मास अमावस्या क्यों महत्वपूर्ण है?
अधिक मास अमावस्या हिंदुओं के लिए निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:
* यह पितरों को श्रद्धांजलि देने और उनकी कृपा प्राप्त करने का समय है।
* यह पापों और नकारात्मक कर्मों से मुक्त होने का समय है।
* यह नए संकल्प लेने और नए सिरे से शुरू करने का समय है।
* यह अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली के लिए प्रार्थना करने का समय है।
अधिक मास अमावस्या की तिथि और मुहूर्त
तिथि:
अधिक मास अमावस्या तिथि 15 अगस्त 2023, मंगलवार को दोपहर 12:42 बजे IST से शुरू होगी और 16 अगस्त 2023, बुधवार को दोपहर 1:27 बजे IST पर समाप्त होगी।
मुहूर्त:
अधिक मास अमावस्या पर पूजा करने का शुभ समय 16 अगस्त 2023, बुधवार को दोपहर 10:47 बजे से दोपहर 12:27 बजे IST है।
अधिक मास अमावस्या पर अनुष्ठान और पूजा:
अधिक मास अमावस्या पर कई अनुष्ठान और पूजाएँ की जाती हैं। कुछ सबसे आम अनुष्ठान हैं:
* स्नान और तर्पण:
इस दिन लोग नदी या तालाब में पवित्र स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह सभी पापों और नकारात्मक कर्मों से मुक्त करता है। स्नान के बाद लोग अपने पूर्वजों को तर्पण करते हैं। तर्पण एक अनुष्ठान है जिसमें पितरों को जल अर्पित किया जाता है।
* पितृ पूजा:
यह अधिक मास अमावस्या पर किया जाने वाला मुख्य पूजा है। इस पूजा में लोग अपने पूर्वजों को प्रार्थना और उपहार अर्पित करते हैं। वे अपने पूर्वजों से अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली की भी कामना करते हैं।
* दान:
अधिक मास अमावस्या पर गरीबों को भोजन, कपड़े और अन्य सामान दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह पितरों को प्रसन्न करता है और दानदाता को सौभाग्य लाता है।
आधिक मास अमावस्या: एक दुर्लभ घटना
आधिक मास अमावस्या एक विशेषता से भरपूर होता है क्योंकि यह अमावस्या एक अधिक मास में आता है। यह संक्रमण मास के बाद का अंतिम मास होता है और इसका महत्व अलग होता है। इस दिन के विशेष पर्व और त्योहार भी अक्सर मनाए जाते हैं।
आधिक मास अमावस्या पर रीति और परंपराएं
इस विशेष दिन पर अलग-अलग धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं होती हैं। लोग इस दिन व्रत रखते हैं, मंदिरों में जाते हैं और पूजाएं करते हैं। धार्मिक ग्रंथों में इस दिन की विशेषता को महत्व दिया गया है।
इस दिन की शुभ क्रियाएं
आधिक मास अमावस्या के दिन कुछ खास कार्यक्रम अक्सर देखे जाते हैं। लोग किसी पुण्य काम में व्यस्त रहते हैं जैसे कि दान-दक्षिणा देना, जल दान करना, और ब्राह्मणों को भोजन देना। इस दिन के प्रति विशेष प्रेम और सद्भावना रखना भी महत्वपूर्ण है।
आधिक मास अमावस्या मुहूर्त
इस दिन का मुहूर्त विशेषता से देखा जाता है क्योंकि यह अधिक मास में आता है। मुहूर्त का चयन करके लोग व्रत और पूजा का आयोजन करते हैं। ज्योतिष विद्वान इस दिन के मुहूर्त के आधार पर शुभ कार्यों का संकेत देते हैं।
ज्योतिष और आध्यात्मिक प्रथाओं पर प्रभाव
आधिक मास अमावस्या के परंपराओं और आध्यात्मिक प्रथाओं पर इसका प्रभाव भी होता है। इस दिन के आधार पर ग्रहों की स्थिति और उनका प्रभाव अलग होता है। मंत्र जाप और ध्यान करने से व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक उन्नति की ओर आग्रसर हो सकते हैं।
आधिक मास अमावस्या के दौरान त्योहार
आधिक मास अमावस्या के आसपास अलग-अलग धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार अक्सर मनाए जाते हैं। इस समय पर विभिन्न देवी-देवता की पूजा की जाती है और उनका आदर किया जाता है। यह पर्व लोगों के लिए उत्सवमय अनुभव का प्रसार करता है।
विभिन्न क्षेत्रों में उत्सव
भारत के विभिन्न प्रांतों में आधिक मास अमावस्या को अलग तरीकों से मनाया जाता है। प्रमुख धार्मिक स्थलों में लोग इस दिन की विशेषता के अनुरूप आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हैं। इससे हमारी संस्कृति की विविधता और समृद्धि प्रकट होती है।
आधिक मास अमावस्या: पौराणिक संबंध
इस दिन के अनेक पौराणिक और मिथाकी किस्से जुड़ते हैं। धार्मिक ग्रंथों में इस दिन की महत्वपूर्णता को प्रमुख रूप से वर्णित किया गया है। विभिन्न कथाओं के अनुसार, इस दिन के व्रत और पूजा से मनवी जीवन में समृद्धि और शांति मिलती है।
व्रत और प्रार्थनाओं के लाभ
आधिक मास अमावस्या पर व्रत और प्रार्थना करने से मन और शरीर दोनों को शुद्ध करने का अवसर मिलता है। इसके माध्यम से हम अपने आप को सुधारने का संकल्प लेते हैं और अपने जीवन में नए उद्देश्य प्राप्त करते हैं।
आधिक मास अमावस्या पूजाओं और विधियों
इस दिन अलग-अलग देवी-देवता की पूजा और आराधना का विधान होता है। पुजारी लोग इस दिन विशेष रूप से तैयार होते हैं और धार्मिक विधियों का पालन करते हैं। इससे लोग अपने मानसिक और आत्मिक विकास की ओर आग्रसर होते हैं।
सकारात्मकता और दान की प्रसारण
आधिक मास अमावस्या का महत्व यह भी सिखाता है कि हमें दूसरों की मदद और सेवा करने में भी प्रसन्नता मिलती है। यह दिन एक अवसर है कि हम अपने आस-पास के लोगों की मदद करें और सकारात्मकता और उदारता का संदेश बांटें।
निष्कर्ष
आज हमने देखा कि आधिक मास अमावस्या एक विशेषता से भरपूर दिन है जिसे धार्मिक, सांस्कृतिक और ज्योतिष तत्वों से जोड़ा गया है। इस दिन की महिमा और विशेषता को समझकर हम अपने जीवन में इसके महत्व को समझ सकते हैं और इसका आनंद उठा सकते हैं। इस दिन के व्रत, पूजा और दान-दक्षिणा से हम अपने जीवन में शुभता और आनंद का प्रवाह बना सकते हैं।
आधिक मास अमावस्या पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न: क्या आधिक मास अमावस्या हर साल होता है या यह आवश्यकता के अनुसार होता है?
उत्तर: आधिक मास अमावस्या का समय संक्रमण मास के बाद होता है, इसलिए यह हर साल नहीं होता। यह आवश्यकता के अनुसार आता है।
प्रश्न: इस दिन का व्रत रखने से क्या लाभ होता है?
उत्तर: अधिक मास अमावस्या का व्रत रखने से मन और शरीर दोनों को शुद्ध करने का अवसर मिलता है। इसके माध्यम से हम अपने आप को सुधारने का संकल्प लेते हैं और अपने जीवन में नए उद्देश्य प्राप्त करते हैं।
प्रश्न: क्या आधिक मास अमावस्या को किसी विशेष प्रकार की पूजा की जाती है?
उत्तर: हां, आधिक मास अमावस्या पर अलग-अलग देवी-देवता की पूजा की जाती है। विभिन्न स्थलों में इस दिन के अनुसार पूजा विधियाँ होती हैं।
प्रश्न: इस दिन के व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
उत्तर: आधिक मास अमावस्या के व्रत में हवन और फल-मेवा खाना चाहिए। मांसाहारी और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।
प्रश्न: क्या आधिक मास अमावस्या का कोई ज्योतिषिक अस्तित्व भी होता है?
उत्तर: हां, आधिक मास अमावस्या के ज्योतिषिक तत्वों पर भी प्रभाव होता है। ज्योतिष विद्वान इस दिन के मुहूर्त के अनुसार शुभ कार्यों का संकेत देते हैं।