अम्बेडकर का जन्म कब हुआ? अम्बेडकर जैसे महापुरुष के बारे में जानना हमारे इतिहास और समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने भारत को समझाने और उसे आगे बढ़ाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। इसलिए, उनकी जन्मतिथि जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम अम्बेडकर के जन्म के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।
अम्बेडकर के परिवार का स्थान
अम्बेडकर के परिवार का स्थान महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में था। उनका गांव में उनके परिवार के सदस्य जीवन बीता। उनके पिता कामगार होने के कारण उनकी परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी। इसलिए, उन्हें शिक्षा की सुविधा मिलने में बड़ी मुश्किलें थीं। अम्बेडकर जीवन के उन दिनों से ही संघर्ष करते हुए अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहे।
अम्बेडकर की शिक्षा
अम्बेडकर की शिक्षा भी काफी मुश्किलों से भरी रही। उन्होंने अपनी पढ़ाई नागपुर, मुंबई, आंध्र प्रदेश और अंग्रेजी में भी की। उन्होंने बॉम्बे से आंध्र प्रदेश के कोल्हापुर में स्थित स्कूल में भी अध्ययन किया था। अम्बेडकर ने दिल्ली विश्वविद्यालय से भी पीएचडी किया था।
डा. भीम राव अम्बेडकर का जन्म कब हुआ?
भारत के संविधान निर्माता अम्बेडकर बाबा का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू नगर में हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था और माँ का नाम भीमाबाई सकपाल था। वे दोनों महार जाति से थे। अम्बेडकर के पिता एक अफसर थे जो ब्रिटिश इंडियन आर्मी में काम करते थे। उनकी माँ एक घरेलू महिला थी। अम्बेडकर के जन्म के बाद उनके पिता ने उनका नाम भीमराव रखा था।
अम्बेडकर के शिक्षा के लिए संघर्ष
अम्बेडकर के शिक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ा। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी और उनके दलित जाति के होने के कारण उन्हें शिक्षा की सुविधा नहीं मिलती थी। अम्बेडकर ने जब से पढ़ना शुरू किया था, तब से उन्होंने अपने शिक्षा के लिए लगातार संघर्ष किया। उन्होंने अपने शिक्षा के लिए कई तरह के नौकरियों की जोखिम में अपने आप को डाला और अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहे।
अम्बेडकर का संविधान निर्माण में योगदान
भारत का संविधान निर्माता अम्बेडकर जी का योगदान भारतीय संविधान के निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने भारत के संविधान को भारत के सभी नागरिकों के लिए संघर्ष करके तैयार किया था। उन्होंने दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और अन्य समाज के अस्थायी तथा वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए उपयुक्त धाराएं डालीं थीं।
अम्बेडकर जी के संविधान में समाज के अस्थायी समस्याओं का समाधान
भारत के संविधान निर्माता अम्बेडकर जी ने समाज के अस्थायी समस्याओं का समाधान करने के लिए उच्च धारा जोड़ी गई। उन्होंने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य वर्गों को आरक्षण दिया था। इसके अलावा, उन्होंने महिलाओं के लिए भी कई धाराएं जोड़ीं थीं। उन्होंने महिलाओं के लिए विशेष आरक्षण व्यवस्था जोड़ी थी और वे समाज में अधिक सक्रिय हो सकें।
अम्बेडकर जी का निरंतर संघर्ष
अम्बेडकर जी ने न केवल संविधान निर्माण में अपना योगदान दिया था, बल्कि उन्होंने दलित समाज के लिए निरंतर संघर्ष जारी रखा। उन्होंने दलित समाज को समाज की भावनाओं से मुक्त कराने के लिए अपना जीवन बलिदान किया था। उन्होंने सभी को समान अधिकारों का हिस्सा दिलाने के लिए संघर्ष किया।
अम्बेडकर जी के महत्वपूर्ण विचार
भारत के संविधान निर्माता अम्बेडकर जी के विचार दलित समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने दलित समाज के लिए समाज की भावनाओं से मुक्त कराने के लिए अपने विचारों को लिखा था।
अम्बेडकर जी का विचार – “जाति नहीं, शिक्षा जातीयता से उपर होती है”
अम्बेडकर जी का विचार था कि जाति के आधार पर लोगों को भेदभाव करना समाज के लिए नुकसानदायक है। उन्होंने कहा था कि शिक्षा हमारी जातीय वास्तविकता से ऊपर होती है और शिक्षा का उच्च स्तर एक समान समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने समाज में जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव करने की मानसिकता के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने समानता, स्वतंत्रता और न्याय की बढ़ती मांग को बढ़ावा दिया।
अम्बेडकर जी का विचार – “अपने आप को पढ़ें और अपने आप को निर्माण करें”
अम्बेडकर जी का दूसरा महत्वपूर्ण विचार था कि लोगों को खुद को पढ़ने का मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा था कि जब तक हम खुद को नहीं पढ़ेंगे और खुद को निर्माण नहीं करेंगे, तब तक हम असफल रहेंगे। उन्होंने लोगों को यह सलाह दी थी कि वे खुद को शिक्षित करें और स्वयं के विकास के लिए काम करें।