केरल की एक शानदार [भव्य] त्योहार “त्रिशूर पूरम”

केरल की एक शानदार त्योहार “त्रिशूर पूरम” में जान लेना हर एक भारतवासी के लिए जरूरी है। यह त्योहार गरीबवोतर केरल की नगरी त्रिशूर में मनया जाता है। पूरम की शुरुआत मलमाल धनेदार [wealthy] मध्यवर्गीय [middle class] कुलों ने की थी, पर अब यह त्योहार पूरे केरल में प्रतिष्ठित [famous] है।त्रिशूर पूरम 36 घंटे तक चलता है और इस त्योहार में लगभाग 200 हाथी शामिल होते हैं। त्रिशूर पूरम का एक अलग महत्व केरल की संस्कृति और धार्मिक उपासना में है। यह त्यौहार देवी की पूजा की शुरुआत से शुरू होते हैं गरीबवोतर केरल के लोगों के लिए एक सांकृतिक उत्सव [cultural festivals] के रूप में जाना जाता है।

त्रिशूर पूरम की शानदार तस्वीर को देखने के लिए हर साल आना चाहिए। पूरम का महौल बड़ा ही रंगीन और उत्साहपूर्ण होता है। त्योहार का स्थल गरीबवोत्तर केरल के सबसे बड़े वडापवना [roundabout] में है, जिसे एक उल्लेखनी [noteable] मंदिर और मैदान के लिए जाना जाता है।

त्रिशूर पूरम की महत्त्व के बारे में बात करते हुए, इस त्योहार की शुरुआत केरल के मंदिरों से होती है, जहां आशीर्वाद और प्रसाद के बाद एक यात्रा निकाली जाती है। यह यात्रा संपूर्ण त्रिशूर नगर में घूमती है । इसके बाद, पूरम की शानदार तस्वीर का आरंभ होता है, जिसमें लगभाग 15 से 30 हाथी शामिल होते हैं।

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हाथी जुलूस (कुदामत्तम)

त्रिशूर पूरम में, हर हाथी को अलग तरह का प्यार और ध्यान मिलता है। हाथी की खूबसूरती और आकर्षण में शीर्ष [top] पर बने बड़ी छत्र का भी महत्त्व होता है। यह छत्र हाथी के ऊपर तैयार किए जाते हैं और इन्हें अक्सर काले रंग की अधिकता से बनाया जाता है। इसके साथ ही हाथी के कनपट्टियों पर सोना का काम किया जाता है।

त्रिशूर पूरम में, हर हाथी को अलग तरह का प्यार और ध्यान मिलता है। हाथी की खूबसूरती और आकर्षण में शीर्ष [top] पर बने बड़ी छत्र का भी महत्त्व होता है। यह छत्र हाथी के ऊपर तैयार किए जाते हैं और इन्हें अक्सर काले रंग की अधिकता से बनाया जाता है। इसके साथ ही हाथी के कनपट्टियों पर सोना का काम किया जाता है।

त्रिशूर पूरम में, हर हाथी के साथ, पंचवद्यम [percussion ensembles] नाम एक ताशा वादा सम्मेलन भी होता है। इस्में मध्यम [medium] से लेकर तेज धुन के ताशा, शंख और चेंदा जैसे वद्या शामिल होते हैं। इसके साथ ही थायंबका नामक एक और विद्या सम्मेलन भी होता है।

त्रिशूर पूरम में, आनाचमयम नाम एक और चीज़ है जो देखने योग्य है। इसमें हाथी के साथ-साथ मंदिरों की भीड़ भी शमिल होती है।

त्रिशूर पूरम में अपना एक और अद्भुत दृश्य है – “कुदामट्टम”। इसमें हाथी की खूबसूरती के साथ-साथ विविध रंग और ताल की तलवारें भी शामिल होते हैं। यह सभी तलवारें हाथी के ऊपर तैयार की जाती हैं और सभी मंदिरों के लोगों को उपहारों [gifts] के रूप में पेश करते हैं।

त्रिशूर पूरम में हाथी का पूजन, उनके सामान की तैयारी और छत्र के साथ-साथ विविध वद्य शामिल होते हैं। सभी लोग पूरम में हाथी के साथ-साथ पृथ्वी के राजा [king of the Earth] गणपति को भी ध्यान देते हैं।

त्रिशूर पूरम में गलीज गंध की वजह से लोगों को प्रभावित न हो, इसलिए पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कुछ नियम बनाए जाते हैं। सभी नियम , जैसे ना तो प्लास्टिक प्रयोग करना और पूरम के दौरन पान और गुटखा ना खाना, को ध्यान में रखना चाहिए।

निष्कर्ष: त्रिशूर पूरम के रोमांच का अनुभव

त्रिशूर पूरम का अनुभव खुद अपना ही है। आपको यहां जाकर, यह त्योहार केवल देखने के झूठ नहीं है, बल्कि पूर्वोत्तार केरल की संस्कृति को जानने के लिए भी है। त्रिशूर पूरम के महाउल में आकार आप अपने आप को केरल की संस्कृति और उसे लोगों से जुड सकते हैं। इसके अलावा, त्रिशूर पूरम में आप अपनी पसंद के प्रकार के खद्या पदार्थों का आनंद उठा सकते हैं। यहां पर प्रसिद्ध मिठाई और खद्या पदार्थों में लड्डू, चकली, मुरुक्कू, अचप्पम, काया वरुथथु, बनाना चिप्स, वेल्लायप्पम, अदा, सांभर, रसम, अवियल आदि शमिल होते हैं। यहां पर आपको भारत के किसी भी देश के खद्या पदार्थ भी मिल जाएंगे।

त्रिशूर पूरम के दौरे, यहां पर एक विशेष बजा [orchestra] होता है, जिसे मेलम कहा जाता है। मेलम में विविध प्रकार के वाद्य जैसे तविल, मददलम, एडक्का, कुझल, कोम्बु, इलाथलम और चेंडा शमिल होते हैं। यह पूरी रात चलती है और गरीबों के पश्चिमोत्तर केरल के लोग इसमें शामिल होते हैं।

इसके अलावा, गरीबोत्तर केरल के विविध रूप के नाच, पाठ, कथाप्रसंग और धार [heritage] को देखने के झूठ त्रिशूर पूरम के ऊपर एक विशेष प्रकार का दृश्य उत्पन्न होता है। साथ ही, त्रिशूर पूरम के दौरान लोग मंदिरों के भीतर भी जाते हैं और पूजा अर्चना [worship] करते हैं। पूरे केरल में बहुत प्रसिद्ध और विशेष पूजा है।

त्रिशूर पूरम के दौरे, केरल के किसी भी प्रदेश से भी लोग आकार इसके आनंद का अनुभव करते हैं। यह एक विशेष त्योहार है, जिसे देखने के झूठ पूर्वोत्तर केरल के लोग साल भर इंतजार करते हैं। आप भी त्रिशूर पूरम के दौरा यहां पर जा कर इसके आनंद का अनुभव कर सकते हैं।

त्रिशूर पूरम एक विशेष त्योहार है, जो गरीबवोत्तर केरल की संस्कृति, विरासत और खुशियों का खजाना है। यह त्यौहार एक साथ खद्या पदार्थ, धार्मिक प्रत्यारोपण, नाच-गाना और वादों का एक साज़िश है। इसके दौरन आप पूरे केरल के विशेष पदार्थों का अनुभव कर सकते हैं और उसकी संस्कृति और धारोहर के बारे में सीख सकते हैं।

इसके अलावा, त्रिशूर पूरम को आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ आनंद का एक विशेष अवसर बना सकते हैं। यह त्योहार पूरी तरह से परिवार और दोस्तों के लिए झूठ है और इसके दौरन आप अपने दोस्त और परिवार के साथ खुशियां बना सकते हैं।

पूर्वोत्तार केरल में त्रिशूर पूरम के अलावा और भी कोई प्रमुख त्योहार होते हैं जैसे विशु, ओणम, नवरात्रि, दिवाली, ईद, क्रिसमस और अन्य। यहां के लोग इन सभी त्योहारों को खुशी से मनाते हैं और इनमें से कुछ त्योहार दुनिया भर में भी बहुत प्रसिद्ध हैं।

तो आप भी त्रिशूर पूरम के आनंद का अनुभव करके अपनी यात्रा का इंतजार कर सकते हैं और गरीबवोतर केरल की खुशियां देखने के लिए तैयार हो सकते हैं। यह त्योहार एक विशेष अनुभव है, जिसे आप कभी भी भूल नहीं सकते।

Author

  • Isha Bajotra

    मैं जम्मू के क्लस्टर विश्वविद्यालय की छात्रा हूं। मैंने जियोलॉजी में ग्रेजुएशन पूरा किया है। मैं विस्तार पर ध्यान देती हूं। मुझे किसी नए काम पर काम करने में मजा आता है। मुझे हिंदी बहुत पसंद है क्योंकि यह भारत के हर व्यक्ति को आसानी से समझ में आ जाती है.. उद्देश्य: अवसर का पीछा करना जो मुझे पेशेवर रूप से विकसित करने की अनुमति देगा, जबकि टीम के लक्ष्यों को पार करने के लिए मेरे बहुमुखी कौशल का प्रभावी ढंग से उपयोग करेगा।

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