कविता-वक़्त की बरखा

“वक़्त की बरखा” एक कविता है जो वक़्त की अनमोलता पर ध्यान केंद्रित करती है। इस कविता में कवि वक़्त की गति को समझने की आवश्यकता को बताते हुए, इसे एक बरखा के रूप में दर्शाते हैं जो हमारे जीवन में बरसती है। इस कविता में बताया गया है कि जीवन में समय बहुत कीमती है और हमें हर पल का आनंद उठाना चाहिए।

वक़्त की बरखा

वक़्त बरसता है बिना ठहरे,
हर चीज़ को लेकर आगे बढ़ता जाता है।
सब कुछ उसके हाथों में होता है,
कुछ दे देता है, कुछ ले लेता है।

कभी सूखा देता है, कभी बहा देता है,
कभी साथ नहीं देता, कभी हमारे साथ होता है।
वक़्त की बरखा है जो हमारे सिर पर बरसती है,
हमें नयी उमंग और नयी ख़ुशी देकर हमेशा मुस्कुराती है।

कोई नहीं जानता कि वक़्त कहाँ से आता है,
कब आएगा और कब चला जाएगा।
लेकिन उसका पूरा हक़ हमसे वक़्त नहीं है लेना,
जीतने का हर पल हमें जीना है।

वक़्त चला जाता है, बहुत से सपने उसके साथ बिछड़ जाते हैं,
लेकिन हमें नहीं हार मानना, हर बार उठकर नई दौड़ लगानी है।
वक़्त की बरखा हमारे ऊपर सदा बरसती रहे,
और हम उसके साथ ख़ुशी से जीते रहें।

वक़्त की बरखा Image

Author

  • Arushi Singh

    I am a student who loves to write. I am currently in class 12th from science stream. I love writing and that's why I'm here. I write about topics and issues that I find interesting or that relate to all of us. I hope you enjoy reading my articles as much as I enjoyed writing them.

Leave a Comment