Women’s Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल क्या है और क्यों जरूरी है?

कैबिनेट ने आज महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है।

कैबिनेट की बैठक आज संसद के विशेष सत्र की पहली बैठक के बाद हुई।

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के कई मंत्रियों और सांसदों को आने वाले कुछ दिनों में अपनी महिला मतदाताओं को संसद ले जाने के लिए कहा गया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आज उनमें से बहुतों से मुलाकात की।

कई नेताओं ने महिला आरक्षण विधेयक को संसद में लाने की मांग की है, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% कोटा की गारंटी देता है। कांग्रेस ने भी अपनी हैदराबाद कांग्रेस कार्यकारी समिति की बैठक में इस पर एक प्रस्ताव पारित किया था।

महिला आरक्षण बिल क्या है? Women’s Reservation Bill in Hindi

महिला आरक्षण बिल एक प्रस्तावित कानून है जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव करता है। आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इन आरक्षित सीटों को राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में क्रमिक रूप से आवंटित किया जा सकता है।

महिला आरक्षण बिल के बारे में सब कुछ:

  • महिला आरक्षण बिल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव करता है।
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें उन समूहों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इन आरक्षित सीटों को राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के आधार पर आवंटित किया जा सकता है।
  • इस मुद्दे पर अंतिम ठोस विकास 2010 में हुआ था जब राज्यसभा ने बिल को पारित कर दिया था और मार्शल ने कुछ सांसदों को बाहर कर दिया था जो इस कदम का विरोध कर रहे थे, लेकिन बिल समाप्त हो गया क्योंकि लोकसभा इसे पारित नहीं कर सकी।
  • वर्तमान लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुनी गईं जो कुल 543 सदस्यों में से 15 फीसदी से भी कम है। राज्यसभा में भी महिला प्रतिनिधित्व करीब 14 फीसदी है, जैसा कि सरकार ने पिछले साल दिसंबर में संसद के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार है।
  • कई राज्य विधानसभाओं में महिला प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है, जिनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा और पुडुचेरी शामिल हैं।
  • सरकार के दिसंबर 2022 के आंकड़ों के अनुसार, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 10-12 फीसदी महिला विधायक थीं। छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और झारखंड क्रमशः 14.44 प्रतिशत, 13.7 प्रतिशत और 12.35 प्रतिशत महिला विधायकों के साथ चार्ट में सबसे आगे हैं।

सामान्य भाषा में समझें तो:

महिला आरक्षण बिल एक ऐसा कानून बनाने की कोशिश है, जिससे देश की संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को कम से कम 33 फीसदी सीटें मिलें। इसके अलावा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से भी एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।

इस बिल को लेकर कई बार चर्चा हुई है, लेकिन अब तक यह कानून नहीं बन पाया है। वर्तमान में लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या कुल सदस्यों का 15 फीसदी से भी कम है। राज्यसभा में भी महिला प्रतिनिधित्व करीब 14 फीसदी है। कई राज्य विधानसभाओं में महिला प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है।

इसलिए, महिला आरक्षण बिल को कानून बनाना जरूरी है ताकि देश की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जा सके।

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महिला आरक्षण बिल क्यों जरूरी है?

भारत में महिलाओं की राजनीतिक प्रतिनिधित्व बहुत कम है। वर्तमान लोकसभा में केवल 78 महिला सदस्य हैं, जो कुल सदस्यों का 15% से भी कम है। राज्य विधानसभाओं में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। कई राज्य विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10% से भी कम है।

महिला आरक्षण बिल महिलाओं को राजनीति में समान अवसर प्रदान करने का एक तरीका है। यह महिलाओं को अपनी आवाज उठाने और निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने का मौका देगा। इससे महिलाओं के मुद्दों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा और महिलाओं के विकास में तेजी आएगी।

महिला आरक्षण बिल की स्थिति क्या है?

महिला आरक्षण बिल को पहली बार 1996 में संसद में पेश किया गया था, लेकिन यह अब तक पारित नहीं हो सका है। 2010 में राज्यसभा ने इस बिल को पारित कर दिया था, लेकिन लोकसभा में यह पारित नहीं हो सका।

आम लोगों का क्या कहना है?

अधिकांश आम लोग महिला आरक्षण बिल के पक्ष में हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 70% से अधिक लोग महिला आरक्षण बिल का समर्थन करते हैं। केवल 20% लोग ही महिला आरक्षण बिल के विरोध में हैं।

तो, महिला आरक्षण बिल क्यों नहीं पास हो पा रहा है?

महिला आरक्षण बिल का विरोध करने वाले लोग मुख्य रूप से दो तर्क देते हैं:

  • महिला आरक्षण बिल महिलाओं के लिए अलग-से चुनाव का प्रावधान करता है, जो संविधान की समानता की भावना के खिलाफ है।
  • महिला आरक्षण बिल से योग्य महिला उम्मीदवारों को चुनाव जीतने का मौका नहीं मिलेगा, क्योंकि आरक्षित सीटों पर केवल महिला उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकेंगी।

हालांकि, महिला आरक्षण बिल के समर्थक इन तर्कों को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि महिला आरक्षण बिल एक अस्थायी उपाय है, जब तक कि महिलाओं को राजनीति में समान अवसर प्राप्त नहीं हो जाते। उनका यह भी कहना है कि महिला आरक्षण बिल से योग्य महिला उम्मीदवारों को चुनाव जीतने का मौका मिलेगा, क्योंकि आरक्षित सीटों पर महिलाओं के बीच बहुत प्रतिस्पर्धा होगी।

तो, आगे क्या होगा?

यह देखना होगा कि सरकार महिला आरक्षण बिल को पारित करने के लिए क्या कदम उठाती है। महिला आरक्षण बिल पारित करना एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि इससे महिलाओं को राजनीति में समान अवसर प्राप्त होंगे और महिलाओं के विकास में तेजी आएगी।

Author

  • Vaishali Kanojia

    वैशाली एक गृहिणी हैं जो खाली समय में पढ़ना और लिखना पसंद करती हैं। वह पिछले पांच वर्षों से विभिन्न ऑनलाइन प्रकाशनों के लिए लेख लिख रही हैं। सोशल मीडिया, नए जमाने की मार्केटिंग तकनीकों और ब्रांड प्रमोशन में उनकी गहरी दिलचस्पी है। वह इन्फॉर्मेशनल, फाइनेंस, क्रिप्टो, जीवन शैली और जैसे विभिन्न विषयों पर लिखना पसंद करती हैं। उनका मकसद ज्ञान का प्रसार करना और लोगों को उनके करियर में आगे बढ़ने में मदद करना है।

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