सुलेखन एक ललित कला है, जो किसी भी धर्म से संबंधित नहीं है। यह एक ऐसी कला है जिसमें अक्षरों को सुंदर और कलात्मक रूप से लिखा जाता है। सुलेखन का इतिहास प्राचीन काल से चला आ रहा है, और यह दुनिया भर में विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में प्रचलित है।
हालांकि, कुछ धर्मों में सुलेखन को विशेष महत्व दिया जाता है। उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म में, सुलेखन को एक पवित्र कला माना जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों को सुंदर हस्तलिपि में लिखना एक धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है। इसी तरह, बौद्ध धर्म में, सुलेखन को एक ध्यान की क्रिया के रूप में देखा जाता है। बौद्ध भिक्षु और भिक्षुणियां सुंदर हस्तलिपि में मंत्र और धर्मग्रंथ लिखते हैं।
भारत में, सुलेखन को एक महत्वपूर्ण कला रूप माना जाता है। यहां सुलेखन को विभिन्न प्रकार की लिपियों में किया जाता है, जिनमें देवनागरी, ब्राह्मी, और गुजराती शामिल हैं। भारत में सुलेखन का इतिहास हजारों साल पुराना है। यहां सुलेखन को धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों रूप से महत्व दिया जाता है।
आधुनिक समय में, सुलेखन एक लोकप्रिय शौक बन गया है। दुनिया भर के लोग सुंदर हस्तलिपि सीखने के लिए रुचि रखते हैं। सुलेखन एक ऐसी कला है जो लोगों को शांति और आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
इस प्रकार, सुलेखन को किसी एक धर्म से संबंधित नहीं माना जा सकता है। यह एक ऐसी कला है जो सभी धर्मों और संस्कृतियों में प्रचलित है।